Radio Ka Avishkar Kisne Kiya | रेडियो का आविष्कार किसने किया?

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आज आप जानने वाले है कि रेडियो का आविष्कार किसने किया? वर्तमान समय मे इंटरनेट और स्मार्टफोन की संख्या इतनी ज्यादा हो गयी है कि जैसे कि मानो तो किसी के पास मोबाइल मौजूद है इसका कारण है कि मोबाइल फोन में इतने सस्ता जो मिल रहे है।

मोबाइल के वजह से ऑनलाइन कई सारे प्लेटफार्म खुल गए है जैसे, फेसबुक, व्हाट्सएप्प, गूगल, यूट्यूब आदि टेलीविजन का तो वजूद अभी दिख रहा है लेकिन रेडियो काफी कम देखने को मिल रहा है।

वर्तमान समय मे रेडिया का इस्तेमाल जयदेतर शौकिन लोग और कार ड्राविंग के द्वारान ही किया जाता है आप भी जानते है कि यह नया तकनीक Radio Ke Avishkar के बाद ही आयी है काफी साल पहले घर घर में टीवी भी नहीं होता था और उस समय एक मात्र मनोरंजन का साधन था केवल रेडियो ही एक चीज थी जो लगभग सभी लोगो के पास होती थी।

देहात इलाको में लोग कान से कान सटाकर रेडियो के आस-पास बैठ जाया करते थे ताकि उससे निकलने वाली आवाज को सुन सके समय साथ रेडियो बदलता गया वही कभी भारी को बड़ा सा दिखने वाला रेडियो आज इतना छोटा हो चूका है कि आपकी जेब में, आपके कार में, आपके मोबाइल में भी आ गया है।

पहले के वक्त में रेडियो का इस्तेमाल केवल समाचार सुनने के लिए किया जाता था कुछ समय बाद बदलाव हुआ चैनल्स ऐड हुआ और एक मनोरंजन के लिए गाने, कॉमेडी आदि का एक साधन बना दिया गया आज के समय के लोगो को रेडियो के आदमीयत समझ नही आएगा उस समय के लोगो को रेडियो का अविष्कार होने में लोगो मे उत्साह था।

हम मानते है कि आज कि दुनिया बहुत आगे बढ़ चुकी है लेकिन रेडियो इनके आगे नहीं झुका है लेकिन क्या आपको मालूम है कि रेडियो का आविष्कार किसने किया और कब किया? अगर तो इस पोस्ट को अन्त तक पढ़े।

रेडियो का आविष्कार किसने किया

रेडियो क्या है? – What is Radio in Hindi

रेडियो एक तरंग होता है जो हमे दिखाई नही देता है तरंग के माध्यम से बिना तार के माध्यम से एक जगह से दूसरे जगह तक ध्वनि को पहुचाया जाता है। आसान शब्दो में रेडियो के बारे में बताया गए जाए तो रेडियो एक ऐसी तकनीक हैं जिसमे Radio Waves ‘रेडियो तरंगों’ का इस्तेमाल करते हुए सिग्नल दिए जाते है या फिर एक दूसरे से जोड़ा जाता है।

आज की नए रेडियो तकनीकी से एक रेडियो स्टेशन से रेडियो तरंगों के माध्यम से लाखो करोड़ो लोगो को एक साथ मेसेज भेज सकते हैं। Radio Waves ‘रेडियो तरंगे’ एक तरह की इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगे होती है जिसकी फ्रीक्वेंसी 30Hz से लेकर 300GHz तक होती हैं।

रेडियो का आविष्कार किसने किया?

रेडियो का आविष्कार गूल्येलमो मार्कोनी (Guglielmo Marconi) ने किया था ऐसे देखा जाए तो रेडियो के आविष्कार में दो और वैज्ञानिक थे जिसका नाम Reginald Fessenden और William Dubilier था। ये भी रेडियो आविष्कार सहियोग किये थे लेकिन उन सभी मे Guglielmo Marconi का योगदान रेडियो आविष्कार में ज्यादा है। इसलिए उन्हें रेडियो का आविष्कार माना जाता है।

गूल्येलमो मार्कोनी का पूरा नाम Guglielmo Giovanni Maria Marconi हैं जिनका जन्म 25 अप्रैल 1874 में इटली में हुआ था। इनको सन 1909 में भौतिक विज्ञानं में नोबेल प्राइज से पुरस्कृत किया गया था।

आज के बढ़ते तकनीक के कारण रेडियो के जगह पर कई के तकनीक समान आ चुकी है लेकिन यही भी बात सही है कि रेडियो प्रशारण के एक सस्ता और अच्छा साधन है। रेडियो एक ऐसी तकनीक जिससे आवाज को ट्रांसमिट किया जाता है रेडियो पर प्रसारण करने के लिए दो चोजो कि जरुरत होती है।

पहला ट्रांसमीटर दूसरा रिसीवर ट्रांसमीटर आवाज को रेडियो फ्रीकवेंसी में बदलकर आगे एक स्थाई फ्रीकवेंसी रिसीवर तक पहुँचता है। फिर वह रिसीवर उस फ्रीकवेंसी आवाज में बदलकर आगे पंहुचा देता है। यही हमारे पास भेज देता है चलिये जानते है कि रेडियो का अविष्कार किसने किया ओर कब किया पूरी अच्छी तरह से देखते है।

रेडियो का आविष्कार कब हुआ?

रेडियो का आविष्कार सन 1880 के दशक में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंग की खोज की गई थी उसके बाद ही इसके के आविष्कार के बारे में किताब में लिखी गई। इस किताब को दुनिया के महान लोगो ने पढ़ा जिनमे जगदीश चंद्र बसु भी शामिल थे। बसु जी ने काफी गौर से पढ़ने के बाद इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों पर आधारित एक उपकरण बनाया।

वैज्ञानिक प्रदर्शन के दौरान दूर रखी घंटी को इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों से बजाया जा सकता था। यह बात मार्कोनी द्वारा रेडियो आविष्कार से पहले की है। मार्कोनी ने रेडियो का अविष्कार 1890 के दशक में किया USA पेटेंट के रिकॉर्ड के मुताबिक गूल्येलमो मार्कोनी ने 1896 में रेडियो का अविष्कार किया था।

रेडियो का इतिहास

रेडियो कि शुरुआत एक ब्रटिश विज्ञानिक James Clerk Maxwell ने कि थी वे विविद रेडियो तरंगो पर काम करते थे। उस समय उनकी कार्य पर किसी का ध्यान नहीं गया पर वे बिना संकोच के अपने काम में लगे रहे और हमेशा के लिए अलविदा कह गए उनको जाने के बाद उनकी खोज को अधुरा माना जाने लगा पर लगभग 8 साल बाद एक और ब्रिटिश विज्ञानिक Oliver Heaviside ने तारो के मध्ध्यम से रेडियो तरंगो पर काम शुरू किया।

लेकिन ये भी इसमें कामयाब नहीं हो सके कुछ समय बाद Heinrich Hertz नाम के विज्ञानिक ने इस काम को आगे बढाया उन्होंने ने चुबकिये तरंगो पर कम करना शुरू कर दिया और काफी हद तक सफल भी रहे और रेडियो से जजुड़ी सवाल का जवाब ढूढने में काफी सफलता मिली थी।

Heinrich Hertz के मरने के बाद उनकी और रेडियो से जुड़ी सभी खोज को Hertz के याद में एक पुस्तक बनाकर पेस किया गया रेडियो के आविष्कार में उस पुस्तक को भी एक बड़ा कारण माना जाता है। कहा जाता है उसको पढने के बाद ही जगदीश चन्द्र वसु समेट दुनिया के अनेको विज्ञानिको ने रेडियो के प्रति दिल्चस्बी दिखानी शुरू कि पुस्तक में लिखी हुई बाते जगदीश पर इतना प्रभाव डाला था।

उन्होंने रेडियो तरंगो को हकीकत बना डाला एक बार एक वैज्ञानिक प्रदर्शन के दौरान उन्होंने रेडियो तरंग से दूर रखी हुई एक घंटी बजा के दिखाई जिसे दिखकर वहा बैठे सभी लोग हैरान रह गए जगदीश चन्द्र के सफल कोशिस के बाद Guglielmo Marconi नाम के विज्ञानिक ने रेडियो के खोज को अंजाम दिया।

Marconi ने वायरलेस रेडियो सिगनल के द्वारा 2000 किलोमीटर दूर एक संदेश भेज कर दिखाया था उसके बाद से रेडियो का आविष्कार हो गया इसके शुरूआती दिनो में रेडियो का इस्तमाल सेना में होता था। कुछ समय बाद जब सरकार को लगा कि यह एक अच्छा यंत्र है तो उसने भी इसका इस्तमाल शुरू कर दिया

एक लम्बे समय तक रेडियो सरकारी कामो के लिए ही इस्तमाल होता था ये उस समय कि बात है जब किसी भी प्रकार कि रेडियो चैनल नहीं थी। बाद में रेडियो में तर्रकी के कारण ही रेडियो चैनलों कि शुरुआत हुई।

रेडियो चैनल की शुरुआत कब हुआ?

1920 में Frank Conrad को जो रेडियो बिभाग में कार्य कर चुके थे उनको दुनिया में पहली बार क़ानूनी तौर पर रेडियो स्टेशन शुरू करने कि अनुमति मिली Conrad को रेडियो ब्रैड कास्टिंग के जनक के रूप में लोग जानते है क्योकि सबसे पहले इन्होने के रेडियो चैनल कि शुरुआत कि थी Frank Conrad को रेडियो चैनल शुरू करने के बाद तो बहुत सरे प्राइवेट कंपनियों ने रेडियो स्टेशन खोलना शुरू कर दिया।

इनमे सबसे मसहुर हुआ ब्रिटिश रेडियो चैनल BBC भारत में रेडियो प्रसारण के शुरुआत 1920 के दसक में हुई पहला कार्यक्रम 1923 में मुंबई के रेडियो क्लब द्वारा प्रशारित किया गया इसके बाद 1927 में मुंबई और कोलकाता में अलग-अलग तकनीक द्वारा प्रसारण सेवा शुरू कि गई। 1930 में सरकार ने ट्रांसमीटरो को अपने नियंत्रण में लिया और भारतीय प्रसारण सेवा के नाम से सेवा देना प्रारंभ कर दिया।

1936 में इसका नाम बदलकर All India Radio रख दिया गया और 1957 में आकाशवाणी के नाम से पुकारा जाने लगा वक्त के साथ भारत में रेडियो का प्रचालन भी बढ़ने लगा और AIR ने अपनी पहुच बढ़ानी शुरू कर दी भारत में दूर-दूर तक अपनी सेवाए पहुचाई आजादी के कुछ दिन बाद AIR ने अपने दो विभाग बना दिया।

जिसके आधार पर दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई, मुंबई और गोहाटी में AIR ने अपना मुख्यालय बनाया पूरी भारत में रेडियो प्रसिद्ध हो गया गाव, शहर लोग इसे ही सुनने लगे देश विदेश के खबरों के बारे में जानने के लिए इससे अच्छा कोई और साधन नहीं था कई साल तक AIR ने ऐसे ही राज किया लेकिन फिर समय के बदलने के साथ प्राइवेट रेडियो चैनल कि शुरुआत हो गई।

उनके आने के बाद सरकारी चैनलों का रंग फीका सा हो गया लेकिन जो भी हो सरकारी हो या प्राइवेट भारत ने रेडियो सुनना कभी नहीं छोड़ा रेडियो सिर्फ यंत्र नहीं है। इससे लोगो के इससे याद जुरे है। कई लोगो ने इसे बचपन से साथ पढ़ते हुए देखा है आज भले कि इसकी लोकप्रियता पर फर्क परा है लेकिन इसका अस्तित्व अभी तक ख़त्म नहीं हुआ है।

FAQ

Q : दुनिया का पहला रेडियो स्टेशन कहा खुला था?

Ans : दुनिया का पहला रेडियो स्टेशन New York शहर में खुला था

Q : दुनिया का सबसे पहला रेडियो चैनल कौन था?

Ans : दुनिया का पहला रेडियो चैनल Frank Conrad था जिसे 1920 में शुरू किया गया था।

Q : रेडियो को किसने बनाया?

Ans : रेडियो को गूल्येलमो मार्कोनी ने बनाया था 

Q : भारत का सबसे ज्यादा चलने वाला रेडियो चैनल कौनसा हैं?

Ans : भारत का सबसे ज्यादा चलने वाला रेडियो चैनल 93.5 FM हैं।

Q : भारत में कितने रेडियो स्टेशन हैं?

Ans : भारत में कुल 231 रेडियो स्टेशन हैं जो आकाशवाणी के स्वामित्व है।

मै निशांत सिंह राजपूत इस ब्लॉग का लेखक और संस्थापक हूँ, अगर मै अपनी योग्यता की बात करू तो मै MCA का छात्र हूँ.

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